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दादा जी कुर्सी पर ही पैर लम्बे कर लेट से जाते हैं तभी शाशवत धनी के बारे में बताता है कि वह आपकी नकल करता है कहता है कि दादा से भी अच्छी कविता लिखूंगा | बातचीत के दोरान दादा जी को थकान महसूस होती हैं |
वह ओस्लो हवाई अड्डे के
बाहर बर्फ में फिसल गये थे | उन्हें मदद दी गई | जहाँ उनके चश्मे का
लेंस गायव
धनी की इस कहानी को सुन
कर शिशिर धनी को 50 क्रोनर का नोट देता है
जो किनारे से थोड़ा फटा और मेला रहता हैं | और दादा जी भी उसे
50 क्रोनर देते हैं |
शाशा बताता हैं की आज कल धनी दादी, मम्मी को ढेर सारी कहानी सुनाता हैं और कहता हैं की इनाम में ढेर सरे क्रोनर मिलेंगे | जिससे दादा जी का चश्मा खरीद कर लायेंगे |
दादा जी बहुत दिन बाद
अपने चमड़े के हेंड बेग की भीतर वाली जेब में कुछ टटोल रहे थे तो एक
लिफाफे में बहुत सारे रेखा चित्र दिखे और उनके साथ पचास - पचास क्रोनर
के दो नोट भी रखे थे - हिमांशु जोशी
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